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बिहार के भागलपुर और नवादा जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा का असर राज्य की राजनीति पर भी पड़ता दिख रहा है| एक तरफ जहां मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) मुखर होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिए हुए है, वहीं दंगों के बहाने कांग्रेस नई राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में जुट गई है|
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस चाहती है कि वह एक बार फिर से नीतीश कुमार को अपने पाले में ले आए| इसके लिए कांग्रेस के आला नेताओं ने शुक्रवार को नीतीश कुमार के सामने दबी जुबान में ऑफर भी कर दिया है|
भागलपुर दंगों में बीजेपी वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को आरोपी बनाए जाने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं होने के चलते विपक्ष सीएम नीतीश पर हमलावर है| विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार हमले कर रहे हैं कि राज्य का लॉ एंड ऑर्डर सीएम नीतीश के हाथ में होने के बावजूद दंगा आरोपियों के खिलाफ सख्ती नहीं बरती जा रही है| आरोप है कि सीएम नीतीश राजनीतिक दबाव में बीजेपी के आरोपी नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने में झिझक रहे हैं|
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