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PNB स्‍कैम: ऐसे हुआ 11 हजार करोड़ का घोटाला कि बैंक को भनक तक नहीं लगी?

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पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) में 11,360 करोड़ रुपये के घोटाले के सामने आने के बाद सरकार समेत जांच एजेंसियों के होश उड़ गए हैं| सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर बैंक की नाक के नीचे से कैसे इतना बड़ा घोटाला हो गया और पता नहीं चला? यह सभी सवाल उठ रहे हैं कि ऑडिट की नजर से यह कैसे बच गया? इन सवालों के जवाब के लिए पूरे मामले की परत दर परत तक जाने की जरूरत है|
 
इसके साथ ही मीडिया रिपोर्टों में अभी तक इस खेल में दो बैंक कर्मियों की मुख्‍य आरोपी नीरव मोदी के साथ मिलीभगत सामने आ रही है| इनमें से एक पूर्व डिप्‍टी मैनेजर और दूसरा क्‍लर्क है| इस पूरी साठगांठ को समझने के लिए पूरे बैंकिंग सिस्‍टम को समझने की जरूरत है|
 
1. पीएनबी घोटाले के केंद्र बिंदु में सहमति पत्र यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) है| यह पत्र एक तरह से बैंक की तरफ से गारंटी होती है| दरअसल यदि कोई बाहर से सामान आयात करता है तो निर्यातक को विदेश में पैसे चुकाने होते हैं| इसके लिए कई बार आयातक कुछ समय के लिए बैंक से उधार लेता है|
 
2. इसके लिए बैंक आयातकर्ता के लिए विदेश में मौजूद किसी बैंक को एलओयू देता है| इसमें लिखा होता है कि अमुक काम के लिए आप एक निश्चित पेमेंट कर दीजिए| इसमें बैंक वादा करता है कि आप (विदेशी बैंक) निश्चित अवधि के लिए यह पैसे दे दीजिए और वह निर्धारित अवधि के भीतर ब्‍याज के साथ उस पैसे को लौटा देगा|
 
3. आमतौर पर होता यह है कि बैंक को व्‍यवसायी तय समय पर पैसे ब्‍यास समेत वापस कर देता है और बैंक आगे विदेशी बैंक को इसकी पेमेंट कर देता है|
 
4. यहीं पर पूरा खेल हुआ| मुंबई की बैंक की एक कॉरपोरेट ब्रांच के दो कर्मचारियों ने नीरव मोदी के लिए फर्जी एलओयू जारी किए| बैंक का इससे कोई लेना-देना नहीं था|
 
5. दरअसल एलओयू के लिए एक स्विफ्ट सिस्‍टम होता है| इन कर्मचारियों के पास इसका कंट्रोल था| यह एक अंतरराष्‍ट्रीय कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम होता है तो दुनिया भर के बैंको को आपस में जोड़ता है|
 
6. इसी स्विफ्ट सिस्‍टम के तहत एलओयू के लिए कोड भेजे जाते हैं| इस सिस्‍टम के जरिये ही एलओयू संदेशों का आदान-प्रदान होता है| इस कारण जब किसी विदेशी बैंक को स्विफ्ट सिस्‍टम के तहत एलओयू कोड मिलते हैं तो वह उनको आधिकारिक और सटीक मानता है और व्‍यवसायी को पैसे उधार के रूप में दे देता है|
 
7. पीएनबी की उस ब्रांच में इस काम को करने वाले थे-एक क्‍लर्क जो डाटा फीड करता था और दूसरा वह अधिकारी जो इस जानकारी की आधिकारिक पुष्टि करता था| इस मामले में इन लोगों ने फर्जी एलओयू बनाकर भेज दिया|
 
8. दरअसल इस मामले में ऐसा लगता है कि स्विफ्ट सिस्‍टम, कोर बैंकिंग से जुड़ा नहीं था| ऐसा इसलिए क्‍योंकि कोर बैंकिंग से जुड़ी बैंलेंसशीट रोज ब्रांच मैनेजर के पास पहुंचती है तो उसको पता लग जाता है कि पिछले दिन बैंक ने कहां कर्ज देने की मंजूरी दी|
 
9. चूंकि फर्जी संदेश भेजे गए| उनको भेजने के बाद डिलीट कर दिया और कोर बैंकिंग में कोई एंट्री नहीं हुई| इस वजह से किसी को कुछ पता नहीं चला|
 
10. 2011 से यह खेल इसलिए चलता रहा क्‍योंकि एक कर्ज को खत्‍म करने के लिए समय से पहले ही दूसरा बड़ा कर्ज ले लिया जाता रहा| उससे पुराने कर्ज को अदा किया जाता रहा| इससे किसी को पता नहीं चला| इस बीच पिछले साल वह बैंक अधिकारी रिटायर हो गया| उसके रिटायर होने के बाद जब नए एलओयू के लिए नीरव मोदी की कंपनी ने संपर्क साधा तो नए अधिकारी ने जब इसके लिए जमानत राशि मांगी तो उसको बताया गया कि इससे पहले उन्‍होंने कभी कुछ दिया नहीं| यहीं से गड़बड़ के संकेत मिले| उसके बाद जब एक विदेशी बैंक ने समय पूरा होने के बाद पीएनबी से एलओयू के आधार पर पैसे मांगे तो पीएनबी ने कहा कि उसने तो कभी ऐसे लोन के लिए कहा ही नहीं| इसके बाद बैंक ने जांच एजेंसियों के पास शिकायत की| इनकी जांच के बाद अब सारे मामले खुल रहे हैं|


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