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गैस सिलेंडर से जुड़ी आपके फायदे की बात, अक्सर नहीं बताते डिस्ट्रीब्यूटर

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रसोई गैस के लिए इस्तेमाल होने वाले सिलेंडर में एक फायदे की बात छुपी होती है| लेकिन, ये फायदे की बात डिस्ट्रीब्यूटर कंज्यूमर्स को नहीं बताते| दरअसल, सिलेंडर खरीदते वक्त ही उसका बीमा यानी इंश्योरेंस हो जाता है| 50 लाख रुपए तक होने वाले इस इंश्योरेंस की जानकारी लोगों को नहीं होती| सिलेंडर का इंश्योरेंस इसकी एक्सपायरी से जुड़ा होता है| 
 
अक्सर लोग सिलेंडर की एक्सपायरी डेट की जांच किए बिना ही इसे खरीद लेते हैं| लेकिन सिलेंडर की एक्सपायरी भी होती है, इस बात जानकारी भी डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं देते| दिलचस्प है कि तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं| टेक्निकल जानकारी कम होने से ये रोटेट होते हैं| एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है|
 
गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है| इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित इंश्योरेंस का क्लेम कर सकता है| साथ ही, सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है|
 
एक्सपायरी डेट पेंट द्वारा प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर संभव है, क्योंकि कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है| एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं|
 
सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं| 
गैस कंपनियां 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडर्स का ग्रुप बनाती हैं|
ए ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और बी ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं| ऐसे ही सी ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और डी ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं|
सिलेंडर्स पर इन ग्रुप लेटर के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं| जैसे- बी-12 का मतलब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जून, 2012 है| ऐसे ही, सी-12 का मतलब सितंबर, 2012 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है|
 
एक्सपायर्ड या टेस्टिंग ड्यू डेट क्रॉस कर चुके सिलेंडरों के वॉल्व से लीकेज का खतरा ज्यादा होता है, जो विस्फोट का कारण बन सकता है. 
सिलेंडर डिलिवरी व्हीकल्स पर भी ऐसे सिलेंडरों से हादसे की आशंका रहती है और गोदाम में ये ब्लास्ट करें, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है. 
ले सकते हैं ऐक्शन
 
एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलेंडर रिप्लेस करा सकते हैं| 
गैस एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर खाद्य या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं| इसे सेवा में कमी मानते हुए उपभोक्ता फोरम में मामला दायर कर सकते हैं| 
 
एजेंसी अपने क्षेत्रीय कार्यालय और फिर क्षेत्रीय कार्यालय बीमा कंपनी को मामला सौंप देता है, लेकिन इस क्लेम के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है|
 
गैस कनेक्शन वैध होना चाहिए|
एजेंसी से मिली पाइप-रेग्युलेटर ही इस्तेमाल हो|
आईएसआई मार्का गैस चूल्हे का उपयोग हो|
लापरवाही से गैस के इस्तेमाल पर क्षतिपूर्ति नहीं|
गैस इस्तेमाल की जगह पर बिजली का खुला तार न हो| 
चूल्हे का स्थान, सिलेंडर रखने के स्थान से ऊंचा हो|
 


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