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अयोध्या : बीजेपी का मजबूत गढ़, ज्यादातर चुनावों में भगवा दल ही बना लोगों की पसंद

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आज अयोध्या फिर से केसरिया रंग में रंगी हुई है| विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं बरसी पर यहां कहीं मातम पसरा है तो कहीं उल्लास के झंडे लहर रहे हैं| अयोध्या का केसरिया रंग से पुराना नाता रहा है| जहां भगवान राम के रथ की पताका केसरिया थी तो अब बीजेपी के झंडे में हरे के साथ केसरिया जुड़ा हुआ है| 
 
अयोध्या हमेशा से ही बीजेपी का गढ़ रही है|  मुल्क की चुनावी फिजा पर गहरा असर डालने वाले वाले तमाम घटनाक्रमों की गवाह बनी अयोध्या की जनता ने अब तक हुए ज्यादातर चुनावों में भगवा दल को ही चुना है| अयोध्या के विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद वर्ष 1967 में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के बी. किशोर विजयी हुए थे| तब से लेकर अब तक जनसंघ और फिर भाजपा ने अयोध्या से कुल नौ बार जीत हासिल की है, जबकि पांच बार दूसरी पार्टियों के विधायक चुने गए| कांग्रेस तीन बार तथा जनता दल और समाजवादी पार्टी एक-एक बार अयोध्या सीट जीत चुकी है|
 
आज छह दिसम्बर को अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के 25 साल पूरे हो गए हैं| छह दिसंबर, 1992 की उस घटना के बाद अयोध्या पूरी तरह भाजपा का गढ़ बन गई| वर्ष 1967 में हुए विधानसभा चुनाव में जनसंघ के बी. किशोर ने निर्दलीय प्रत्याशी बी. सिंह को 4,305 मतों से हराया था| वर्ष 1951 से 1977 तक अस्तित्व में रहा जनसंघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा थी. वर्ष 1977 में यह कांग्रेस शासन का विरोध करने वाले विभिन्न वामपंथी, मध्यमार्गी तथा दक्षिणपंथी संगठनों में विलीन हो गया, जिसके परिणामस्वरूप जनता पार्टी का गठन हुआ| वर्ष 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ| 


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