|
|
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में गांधी जयंती (दो अक्टूबर) को शुरू किए गए स्वच्छता अभियान के सोमवार को तीन साल पूरे हो रहे हैं| साफ-सफाई के अभियान की जरूरत को सबसे पहले महात्मा गांधी ने ही समझा था| सितंबर, 1946 में नई दिल्ली में दिए एक भाषण में उन्होंने कहा था कि जिस बंगले में मंत्री रहते हैं या जिस क्वार्टर में नौकर रहते हैं, दोनों की स्वच्छता का स्तर एक जैसा होना चाहिए| उन्होंने कहा, लेकिन विडंबना यह है कि वायसरायों और हुक्मरानों के घरों को साफ करने वाले नौकर खुद गंदगी में रहते हैं|
नवजीवन में 1925 में महात्मा गांधी ने टॉयलेट को साफ रखने के बारे में कहा कि इसको ड्राइंग रूम की तरह साफ रखना चाहिए| उन्होंने कहा, मुझे 35 साल पहले पता चला कि जैसे हम अपना ड्राइंग रूम साफ रखते हैं, वैसे ही हमें अपना शौचालय साफ रखना चाहिए| मुझे पश्चिम में यह बात पता चली|
"म्यूजिक ऑफ स्पिनिंग व्हील" किताब में महात्मा गांधी ने एक वाकये के संदर्भ में राजनीतिक आजादी से भी ज्यादा अहम स्वच्छता को माना| इसीलिए आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ महात्मा गांधी देशवासियों को साफ-सफाई के मायने भी समझाते रहे|
1915 में महात्मा गांधी कुंभ में शिरकत करने हरिद्वार गए| उसका जिक्र "यंग इंडिया" में करते हुए लिखा, मैं वहां पूरी उम्मीद और श्रद्धा के साथ गया था| वहां मैंने पवित्र गंगा और पवित्रतम हिमालय की महिमा को देखा, लेकिन उस पवित्र स्थान पर लोग जो कर रहे थे, उसने मुझे ज्यादा प्रेरित नहीं किया| वहां मुझे नैतिक और भौतिक दोनों ही अस्वच्छता दिखी| धर्म के नाम पर लोग पवित्र नदी की धारा को अपवित्र कर रहे थे| ऐसा करके वे धर्म, विज्ञान और स्वच्छता के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे|
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से महात्मा गांधी को एक ग्रामीण का खत मिला| पत्र लिखने वाले ग्रामीण ने आदर्श गांव की संकल्पना के बारे में महात्मा गांधी से पूछा| इसका जवाब हरिजन के अंक में देते महात्मा गांधी ने कहा कि अगर कोई गांव इस तरह बसाया गया है कि जो खुद अपनी साफ-सफाई सुनिश्चित कर रहा है तो उसे आदर्श गांव कहा जा सकता है| गांववासियों को गांव की जो पहली सबसे बड़ी समस्या को दूर करना चाहिए, वह उसकी साफ-सफाई है|
|