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पहलवानी से जुड़े परिवार में 2 अक्टूबर को जन्मे टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार एक समय टीम इंडिया के सबसे जरूरी सदस्य बन गए थे| अपनी स्विंग गेंदबाजी से प्रवीण कुमार ने दुनिया के नामी बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला|
उनके इसी कमाल का पहला नजारा देखने को मिला था ऑस्ट्रेलिया में 4 मार्च 2008 को ब्रिस्बेन में कहर बरपाते हुए प्रवीण कुमार ने फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के चार खिलाड़ियों को आउट कर उनका टॉप ऑर्डर तहस नहस कर दिया था| इसी करिश्माई गेंदबाजी का कमाल था कि टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली बार उसकी ही सरजमीं पर धूल चटा दी| इस मैच में प्रवीण कुमार मैन ऑफ द मैच बने|
लेकिन इस मैच से जुड़ी एक और मजेदार बात है जो हम आपको बताते है| अपने शानदार प्रदर्शन के लिए प्रवीण कुमार को मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया| जब सेरेमनी में उनका नाम पुकारा गया तो वह अंग्रेजी में बोलने के कारण शरमा गए| इसके बाद धोनी को उन्हें अपने साथ ले जाना पड़ा| इसके बाद भी प्रवीण कुमार ने पुरस्कार का चैक लिया और वापस भाग कर आ गए| वह मैच प्रदर्शन पर कुछ बोले ही नहीं| उनकी जगह पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने बात पूरी की|
प्रवीण का जन्म पहलवानी से जुड़े परिवार में हुआ| बचपन में उनका ज्यादा समय अखाड़े में बीता| लेकिन उनका मन क्रिकेट में लगा. उन्होंने गली क्रिकेट खेलते हुए गेंद को स्विंग कराने की कला सीखी| रंजी ट्रॉफी और चैलेंजर ट्रॉफी में अच्छे प्रदर्शन की दम पर टीम इंडिया में जगह बना ली|
नवंबर 2007 में प्रवीण ने जयपुर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे करियर का आगाज किया| टेस्ट करियर की शुरुआत अगस्त 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में की| गेंदों में गति अधिक नहीं होने के कारण तब प्रवीण भारतीय पिचों पर अधिक कामयाब नहीं हुए| लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने कमाल की गेंदबाजी की| बता दें कि मेरठ के रहने वाले प्रवीण कुमार ने आखिरी टेस्ट मैच साल 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था| आखिरी वनडे मैच प्रवीण कुमार ने 2012 में ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था|
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