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वह वर्ष 1996 था जब खाने के एक तेल का विज्ञापन बड़ा लोकप्रिय हुआ था| उस विज्ञापन में जलेबी का शौकीन एक बच्चा होता था| संदेश था कि बताए गए तेल में जलेबी तली जाए| लेकिन आज दो दशक बाद कोई भी तेल कंपनी तेल बेचते वक्त जिस चीज से जुड़ने से बचती है वह है तला हुआ खानपान और चाशनी में लिपटा हुआ व्यंजन|
ऐसा इसलिए क्योंकि समय के साथ दिल भी बूढ़ा होता जाता है और उसका ध्यान रखना जरूरी है| यही वजह है कि आज कल खाने के सभी तेलों के साथ दिल के लिए अच्छा, मोनोअनसेच्युरेटेड फैट , ओमेगा थ्री, कैरोटीन, प्लांट स्टेरॉलस जैसे शब्द उसके लेबल में जोड़ दिए जाते हैं, चाहे वह आपको समझ आएं या नहीं|
चिकित्सकों की मानें तो तेल के बारे में चाहे कितने भी दावे किए जाएं लेकिन सभी में वसा होती है और सभी के अपने नुकसान हैं| भारत के शीर्ष हृदयरोग विशेषज्ञों में से एक डॉ. देवी शेट्टी अपने लेख Сडाइट कम्स फर्स्ट इन मैटर्स ऑफ दी हार्टТТ में कहते हैं कि जब बीज में से तेल निकालना ही प्रकृति के विरुद्ध है तो तेल दिल के लिए अच्छा कैसे हो सकता है.
फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल में हृदयरोग कंसल्टेंट डॉ. अमित कुमार कहते हैं, Сतेलों में मोनो सेच्युरेटेड फैटी एसिड (मूफा) और पॉली सेच्युरेटेड फैटी एसिड (पूफा) अलग-अलग मात्रा में होता है| वर्तमान में हमें जो जानकारी है उसके मुताबिक मूफा दिल के लिए अच्छा है| इसलिए जिन तेलों में मूफा की मात्रा अधिक होती है वह तेल बेहतर होते हैं. इसीलिए जैतून, सरसों, सोयाबीन, राइस ब्रान तेल, कनोला (राई) तेल और मूंगफली का तेल दिल के लिए बेहतर है| चिकित्सक कहते हैं कि अलग-अलग तेल का भिन्न तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए|
इम्पीरियल होटल के शेफ प्रेम के पोगुला ने कहा, तलने के लिए मूंगफली के तेल का इस्तेमाल करें| कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो प्लांट ऑइल का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि उनमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता| पौधे से निकलने वाले तेल हैं बादाम तेल, एवेकाडो सीड ऑइल, अलसी का तेल और नारियल तेल|
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