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| आप अपने आस-पास कई लोगो को अपने गर्दन के दर्द की समस्या बताते हुए सुनेंगे| कुछ लोगो में यह साधारण दर्द हो सकता है, परन्तु अधिकतर लोग स्पांडलाइटिस के शिकार होते है। स्पांडलाइटिस, आर्थराइटिस का ही एक रूप है। रीढ़ की हड्डी में समस्या ही सरवाईकल स्पांडलाइटिस को जन्म देती है आजकल ये बीमारी एक आम समस्या बन गई है। आमतौर पर इसके शिकार 40 की उम्र पार कर चुके पुरुष और महिलाएं होती हैं। परन्तु आज की जीवनशैली में बदलाव के कारण युवावस्था में ही लोग स्पांडलाइटिस जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। अब इस बीमारी का उम्र से कोई लेना देना ही नहीं है। स्मार्टफोन के ज़माने के आगमन के साथ ही सरवाईकल स्पांडलाइटिस के रोगियों मे भी बेतहाशा वृद्दि हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार आजकल स्पांडलाइटिस के शिकार वे व्यक्ति होते है जिनकी उम्र 30 से कम होती है। इसी के साथ इस बीमारी से वे युवा ज्यादा परेशान मिलते हैं, जो आईटी इंडस्ट्री या बीपीओ में काम करते हैं या वे लोग जो कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं। घटों भर सिलाई, बुनाई, व कशीदा करने वाले लोगों तथा गठिया से पीडित रोगी में भी स्पांडलाइटिस होने की आशंका ज्यादा रहती है | एक रिसर्च के अनुसार हमारे देश का हर सातवाँ व्यक्ति गर्दन और पीठ दर्द या जोड़ों के दर्द से परेशान है। ये बीमारी किसी भी व्यक्ति को अचनाक नहीं होती है| विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का सबसे प्रमुख कारण गलत पॉश्चर है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। आपको पता ही नहीं चलता और आपकी दैनिक दिनचर्या गलत पॉश्चर में बीत रही होती है। जोकि भविष्य में आपको गम्भीर परिणाम दे जाती है| इसके अलावा शरीर में कैल्शियम की कमी, अनियमित और अनियंत्रित लाइफ़ स्टाईल भी स्पांडलाइटिस का दूसरा महत्वपूर्ण कारण है । आपके द्वारा ही की गई कुछ अनदेखी आपको इस बीमारी का शिकार बना देती है| जैसे:- काफी लम्बे समय तक डेस्क वर्क या डेस्क पर एक ही स्थिति में बैठकर पढ़ाई-लिखाई करना, कठोर तकिए का इस्तेमाल करना, आरामदेह सोफ़ों तथा गद्देदार कुर्सी पर घटो बैठे रहना, टेढे-मेढे होकर सोना, गलत ढंग से वाहन चलाना, बहुत झुक कर बैठ कर पढना, लेटकर पढना, गलत ढंग से और शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठाना, व्यायाम न करना और चिंताग्रस्त जीवन जीना, संतुलित भोजन न लेना, भोजन मे विटामिन डी की कमी रहना, अधिक मात्रा मे चीनी और मीठाईयाँ खाना, घंटों कम्पयूटर के सामने बैठना, धूम्रपान करना अथवा लेटकर टीवी देखना या भोजन करना आदि। स्पांडलाइटिस के प्रकार शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पॉन्डिलाइटिस तीन प्रकार का होता है: सरवाइकल स्पांडलाइटिस (Cervical Spondylosis): गर्दन में दर्द, जो सरवाइकल को प्रभावित करता है, सरवाइकल स्पांडलाइटिस कहलाता है। यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन और कंधों के जोड़ तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मांसपेशियों के कारण बांहों को हिलाना भी मुश्किल होता है। लम्बर स्पांडलाइटिस (Lumbar Spondylosis): इसमें स्पाइन के कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है। एंकायलूजिंग स्पांडलाइटिस (Ankylosing Spondylosis): यह बीमारी जोड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी के अलावा कंधों और कूल्हों के जोड़ इससे प्रभावित होते हैं। एंकायलूजिंग स्पांडलाइटिस होने पर स्पाइन, घुटने, एड़ियां, कूल्हे, कंधे, गर्दन और जबड़े कड़े हो जाते हैं। सरवाईकल स्पांडलाइटिस के लक्षण:-
नीचे दी गई कुछ सावधानिया रखकर आप सरवाईकल स्पांडलाइटिस से बच सकते है |
कुछ उपाय कर पाए सर्वाइकल स्पांडलाइटिस से छुटकारा
इस आसन को करने के लिए आसन की मुद्रा में बैठ जाये| ध्यान रखे की कमर और रीढ़ की हड्डी पूर्ण रूप से सीधी हो। गर्दन को धीरे-धीरे बाईं ओर ले जाएँ कुछ सेकंड रुके और फिर दाहिनी और ले जाये और फिर धीरे-धीरे बाईं ओर ले जाये| इसके बाद गर्दन को ऊपर की ओर ले जाये कुछ सेकंड रुककर नीचे की तरफ ले जाये| गर्दन को नीचे की ओर ले जाते समय कंधे न झुकाएँ। कमर, गर्दन और कंधे सीधे रखें। इस तरह एक चक्र पूरा होता है । आप इसे चार से पाँच चक्रों में करने की कोशिश करे |
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