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थायराइड मनुष्य शरीर में मौजूद एक तरह की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है और पिट्यूट्री ग्रंथि जो मस्तिष्क में स्थित होती है, इसके द्वारा नियमित की जाती है।। जोकि तितली के आकार की दिखाई देती हैi | यह ग्रंथि आपके शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। अर्थात जो भोजन हम खाते हैं, यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। यह ग्रंथि दो हार्मोन टी-3, ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी-4, थायरोक्सिन का उत्पादन करती है। इन हार्मोन्स के अनियमित होने से कई समस्यायें होने लगती हैं। इसके अलावा यह आपके हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है। हम आपको बताते है की आखिर क्या कारण हो सकते है जिनसे की थायराइड नाम की बीमारी लोगो को घेर लेती है| जब थायराइड ग्रंथि ठीक प्रकार से काम नहीं करती या इसकी कार्य प्रणाली में कोई अनियमितता होती है तो थायराइड संबंधी बीमारियां होने लगती हैं। जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन नहीं बना पाती तो शरीर उर्जा का उपयोग कम मात्रा में करने लगता है। इस स्थिति को हाइपोथायराडिज़्म कहते हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। हालांकी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में यह बीमारी पांच से आठ गुणा अधिक है।थायराइड दो तरह का होता है - हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइड।
थायराइड के लक्षण
सामान्यतः प्रारम्भिक स्थिति में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ आमतौर पर सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे लेकर गंभीर हुआ जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है। थाइराइड होने पर कब्ज की समस्या शुरू हो सकती है। ऐसे में खाना पचाने में दिक्कत होती है।
साथ ही खाना आसानी से गले से नीचे नहीं जा पाता है। थायराइड में शरीर के वजन पर भी असर पड़ता है। थाइराइड की समस्या से ग्रस्त आदमी को जल्द थकान होने लगती है। उसका शरीर सुस्त रहता है और शरीर की ऊर्जा समाप्त होने लगती है। थाइराइड की समस्या होने पर आदमी हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। यहां तक के याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है। मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और साथ ही साथ कमजोरी का होना भी थायराइड की समस्या के लक्षण हो सकते है।
वैसे तो हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराडिज्म दोनों ही थायराइड के प्रकार हैं। लेकिन दोनों के लक्षण एक दूसरे से बेहद अलग होते हैं।
हाइपो थायरायडिज्म के प्रमुख लक्षण
चेहरे का फूल जाना।
त्वचा का शुष्क होना।
डिप्रेशन।
वजन का अचानक बढ़ना।
थकान का आना।
शरीर में पसीने की कमी।
दिल की गति का कम होना।
अनियमित या अधिक माहवारी का होना।
कब्ज का बनना आदि।
हाइपर थायराइडिज्म के लक्षण
बालों का झड़ना।
हाथ में कंपन होना।
अधिक गर्मी व पसीना आना।
वजन का घटना।
खुजली व त्वचा का लाल होना।
दिल का धड़कनों का बढ़ना।
कमजोरी महसूस होना। आदि।
थायराइड के कारण
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सोया उत्पाद- इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यायदा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।
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दवाएं- कई बार दवाओं के साइड इफैक्ट भी थायराइड की वजह होते हैं।
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पिट्यूटरी ग्रंथि - थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।
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आयोडीन की कमी- भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या में इजाफा करता है।
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विकिरण थैरेपी - सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण भी थायराइड की वजह होते हैं या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण् भी थायराइड की समस्या में इजाफा करता है।
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तनाव- जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।
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परिवार का इतिहास- यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।
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ग्रेव्स रोग- ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
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गर्भावस्था- थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था , जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।
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रजोनिवृत्ति- रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।
थायराइड की समस्या को ठीक करने के उपाय :
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वैसे तो थायरायड का कोई इलाज नहीं है इसके लिए रोगी को उम्र भर सुबह-सुबह खाली पेट गोली लेनी होती है लेकिन व्यायाम, आहार व योगाआसनों से थायरायड रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।
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इस रोग में शरीर को पोषक तत्वों की जरुरत होती है इसलिए हरी सब्जियां, फल ज्यादा मात्रा में खाना चाहिए।
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रोगी को नियमित थायरायड की जांच कराते रहना चाहिए।
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जब थायरायड की समस्या बढ़ जाती है तो उसे सर्जरी के द्वारा निकाल दिया जाता है।
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आप जितना हो सके चावल, मैदा, मिर्च-मसाले, खटाई, मलाई, अंडा, अतयधिक मात्रा में नमक का सेवन बंद कर दें। साधारण नमक की बजाय सेंधा नमक का इस्तेमाल करे |
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योग के जरिए भी थाइराइड की समस्या से निजात पाया जा सकता है। आपको भुजंगासन, ध्यान लगाना, नाड़ीशोधन, मत्स्यासन, सर्वांगासन और बृहमद्रासन आदि करना चाहिए।
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थायराइड को एक्यूप्रेशर के द्वारा भी ठीक किया जा सकता है। एक्युप्रेशर में पैराथायराइड और थयरायड के जो बिंदू होते हैं वे पैरों और हाथों के अंगूठे के नीचे और थोड़े उठे हुए भाग में मौजूद रहते हैं । आपको इन बिंदुओं को बाएं से दाएं दबाना चाहिए। हर बिंदु को कम से कम तीन मिनट तक दबाएं। इस उपाय को हर रोज कम से कम दो बारी जरूर करें।
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प्रतिदिन अदरक का सेवन करे, क्योकि अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
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थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।
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थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
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जौ, पास्ता और ब्रेड़ आदि साबुत अनाज का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।
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